ओ मेरे पिता!
मुझे है पता
मैं कभी नहीं उतरा
तुम्हारी अपेक्षाओं पर खरा
कभी नहीं रख सका
तुम्हारी छांह में
खुद को हरा भरा
मैं कभी नहीं भूला पाता
हमेशा संदेहों से घिरा
तुम्हारा वह चेहरा!
ओ पिता!
मुझे बता!
मैं कितना रीता
कितना बीता
तुम्हें तो सब है पता
तुम हो पिता!
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