मुस्कान
अर्थात
एक प्यारा सा गान
प्रेम का
जो गालों की सरगम और
अधरों के साज पर बजते हुए
संपूर्ण
बाहर भीतर को आंदोलित करता है
प्रेम की मानिंद
मुस्कान भी
किस्मत और
मुश्किल से मिलती है
इसीलिए तो मैं बोलूं...
मुस्कान ही
प्रेम की प्रथम अभिव्यक्ति है!!
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29 January, 2011
26 January, 2011
पिंजरे में दुबारा
उसने सचमुच ही कर लिया किनारा
दिल फ़िर हो गया मारा मारा
उसको क्या कहें और क्यूं
दिल का ही तो था कसूर है सारा
कोशिशें तो बहुत की बचाने की
फ़िर भी तिनका तिनका हो गया सारा
उम्र बीत जाएगी शायद अब झुलस में
जाने कब मिलेगा छांव का सहारा
जाने कैसा रिश्ता है कैसा ये लगाव
क्या ये किस्सा क्या ये नज़ारा
उसने तो किया था परिंदा आजाद
फ़िर भी आ बैठा पिंजरे में दुबारा
दिल फ़िर हो गया मारा मारा
उसको क्या कहें और क्यूं
दिल का ही तो था कसूर है सारा
कोशिशें तो बहुत की बचाने की
फ़िर भी तिनका तिनका हो गया सारा
उम्र बीत जाएगी शायद अब झुलस में
जाने कब मिलेगा छांव का सहारा
जाने कैसा रिश्ता है कैसा ये लगाव
क्या ये किस्सा क्या ये नज़ारा
उसने तो किया था परिंदा आजाद
फ़िर भी आ बैठा पिंजरे में दुबारा
06 January, 2011
मज़ा जो आता है....
हम अपनी कुछ आदतों से
बहुत परेशान हैं
छोडना चाहते हैं उन्हें
पाना चाहते हैं निजात
पूरी तरह उनसे
उस चाय काफ़ी,
खैनी, सिगरेट, दारु की तरह नहीं
जिसे जब चाहा छोड दिया
और जब चाहे
फ़िर से शुरु हो गए
छोडना चाहते हैं ऎसे कि
स्मृति में भी न रहे
कि कोई कहे
हम ऎसे भी रहे
पर कहां हो पाता है
किसी की भी हंसी उडाने
कहीं पर भी टांग अडाने
अपना उल्लू सीधा करने
अंगुली करने में
मज़ा जो आता है.....
बहुत परेशान हैं
छोडना चाहते हैं उन्हें
पाना चाहते हैं निजात
पूरी तरह उनसे
उस चाय काफ़ी,
खैनी, सिगरेट, दारु की तरह नहीं
जिसे जब चाहा छोड दिया
और जब चाहे
फ़िर से शुरु हो गए
छोडना चाहते हैं ऎसे कि
स्मृति में भी न रहे
कि कोई कहे
हम ऎसे भी रहे
पर कहां हो पाता है
किसी की भी हंसी उडाने
कहीं पर भी टांग अडाने
अपना उल्लू सीधा करने
अंगुली करने में
मज़ा जो आता है.....
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