मैं जो हूं
मैं
नदी नहीं
रास्ता हूं
जिससे होकर बहती है नदी
मैं
सागर नहीं
तल हूं
जिस पर टिक
लहराता, इतराता है सागर
मैं जो हूं
वह मैं हूं
जो मैं नहीं
होना भी नहीं चाहता वह!
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चाह
नहीं चाहता
सपने देखना, दिखाना
भरमना, भरमाना
कोई बहुत बड़ी चाह नहीं है ये
पर कभी पूरी ही नहीं होती
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