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09 January, 2013

तोड़ रहा हूं आज मैं सारे,सन्नाटे के छंद


गीत जैसा कुछ

तोड़ रहा हूं आज मैं सारे,सन्नाटे के छंद
आज खोल के ही मैं रहूंगा, सब दरवाजे बंद

बहुत घुट चुका अब न घुटूंगा, अंधेरी काराओं में
अब न कभी आरोपित हूंगा, तेरी इन धाराओं में
आज उड़ के ही  मैं  रहूंगा, अपने आकाश स्वच्छंद

हदें हो चुकी सारी बेहद, अब न गुलामी होगी
केवल अपनी राह चलूंगा, अब न नाकामी होगी
आज छंटेगें सारे कुहरे, मिट जाएंगे द्वंद

होगा हर रोधी का विरोध, रुदन नहीं अब होंगे गीत
बीत गई सो गई बीत, अब तो केवल, केवल जीत
जुड़े हाथ, हो रहे मुठ्ठियां, तोड़ के सारे बंद
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