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03 March, 2011

दिन

दिन
कई दिनों से उदास है
सुबह से शाम तक
दिन
दिनभर अकेला
किसी से नहीं मिलता
किसी से नहीं बोलता
चुपचाप...
उगता,
अपनी ही रौ में
चलता, जलता
चुपचाप...
ढलता

3 comments:

  1. बहुत खूब!....मुबारक हो!

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  2. बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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