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28 March, 2011

लड़की / १५ कविताएं

लड़की



लड़की
एक अनचाही मन्नत
अनचाही आगत
यानी कि आफ़त



लड़की को
जिस दिन अहसास दिलाया गया
वह लड़की है
वह अकेली हो गई



लड़की
नहीं चाहती फ़िर लड़की होना
जब मां बनने वाली होती है
सपनें बेटे के ही देखती है



लड़की
लड़ जाना चाहती है हरेक से
अपने लड़कीपन को
बचाने के लिए



लड़की को मालूम है
अपनी नियति
फ़िर भी नहीं रोती
जागती, जगाती, गहरे नहीं सोती



लड़की कहना चाहती है
लड़की से
तुम लड़की हो
पर लड़की को
दया मत बनाओ कभी किसी की



लड़की
पाना चाहती है भरोसा
लड़की का
देकर अपना भरोसा



लड़की
कभी नहीं चाहती
उसे विशिष्ट मिले
यह भी नहीं कि
निकृष्ट मिले



लड़की
मां होने पर भी
लड़की ही होती है
बस!
थोड़ा कम हंसती है

१०

लड़की चाहती है
किसी की होना
पर नहीं चाहती
किसी की होकर
अपने आप को खोना

११

सब चाहते हैं
लड़की में
लड़कीपन
सुंदर दुल्हन
अच्छी मां
कुशल गृहिणी
नहीं चाहते
जो चाहता है
लड़की का मन..

१२

लड़की
जानती है
अपनी दुश्मन वह खुद है
इसीलिए तो
हर लड़की का
अपने ही खिलाफ़ खड़े होना
एक सतत युद्द है

१३

लड़की
जब करने लगती है बात
हक की
आंखों में चुभने लगती है
सब की

१४

लड़की को मना है
आजादी से घूमना फ़िरना
अपने ही घर की छत पर
टहलना
खिड़की के पास बैठना
लड़की की सबसे बड़ी कमजोरी है
लड़की होना

१५

लड़की
खंजर घोप देना चाहती है
हर उस नज़र में
जो उसे लड़की नहीं
माल
चीज
समझती करती है
लड़की प्रतिकार ही नहीं
प्रहार भी करती है

1 comment:

  1. BHAI NAVNEET JI,
    JAI HO !
    CHHOTI-CHHOTI LEKIN BEHTREEN KAVITAYEN !
    SHABD-MOTIYON KI MAALA SARIKHI !
    BADHAI HO !
    www.omkagad.blogspot.com

    ReplyDelete

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