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05 March, 2011

मेरी खुशी मेरी उदासी

किन शब्दों में लिखूं
शब्द दिखते हैं
खोते अपनी इयत्ता
शब्दार्थ छोड़
होते जा रहे हैं
अनुलोम-विलोम
तत्सम, पर्यायवाची
अव्यक्त ही रह जाती है
हर बार
मेरी खुशी
मेरी उदासी

4 comments:

  1. बेहतरीन ।

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  2. बहुत संवेदनशील प्रस्तुति..

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  3. नमस्कार !
    वाकई शब्द अपने अर्थ खोते जा रहे है . '' मेरी डबडबाई आँखों से वो क्या ढूंढे है अपना अक्स ''
    साधुवाद
    सादर !

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  4. शब्दों की तलाश में है? आप और व्यक्त कर दिया बहुत कुछ , अच्छा अंदाज

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