Search This Blog

11 February, 2011

ये एक हकीकत है मित्रों! नहीं कोई कविता नई!!

चीजें करने लगी हैं किस कदर
जीवन में घुसपैठ
दिखाई देता है सिर्फ़
और सिर्फ़ टार्गेट
बुलावे पर कहीं जाता नहीं
किसी को बुलाता नहीं
सारे रिश्ते खतम कर दिए
उच्च शिक्षा के दर्द नए
पहले ए आई आई टी
फ़िर और आगे
फ़िर और आगे
कितना पढ गया बेटा
बहुत आगे बढ गया बेटा
लाखों का पैकेज है
अच्छा कैरियर क्रेज है
एक और खुशखबरी!
शादी भी फ़िक्स कर दी है
कंपनीमैट से ही
पांच साल हो गए
अब्रोड है
आता नहीं
हमें बुलाता,
ले जाता नहीं
कहते कहते
पिता की आंख नम हो गई
मां अंदर कमरे में चली गई
ये एक हकीकत है मित्रों!
नहीं कोई कविता नई!!

3 comments:

  1. एक ऐसी हकीकत जिसे सब जानते हैं लेकिन मानते नहीं...अंधी दौड़ में अभी सब लगे हुए हैं...माँ बाप भी और बेटा बेटी भी...
    नीरज

    ReplyDelete
  2. यह वर्तमान समाज का एक कटु यथार्थ है। सटीक बात लिखी है.................बिल्कुल वास्तविक।



    मैं वृक्ष हूँ। वही वृक्ष, जो मार्ग की शोभा बढ़ाता है, पथिकों को गर्मी से राहत देता है तथा सभी प्राणियों के लिये प्राणवायु का संचार करता है। वर्तमान में हमारे समक्ष अस्तित्व का संकट उपस्थित है। हमारी अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं तथा अनेक लुप्त होने के कगार पर हैं। दैनंदिन हमारी संख्या घटती जा रही है। हम मानवता के अभिन्न मित्र हैं। मात्र मानव ही नहीं अपितु समस्त पर्यावरण प्रत्यक्षतः अथवा परोक्षतः मुझसे सम्बद्ध है। चूंकि आप मानव हैं, इस धरा पर अवस्थित सबसे बुद्धिमान् प्राणी हैं, अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारी रक्षा के लिये, हमारी प्रजातियों के संवर्द्धन, पुष्पन, पल्लवन एवं संरक्षण के लिये एक कदम बढ़ायें। वृक्षारोपण करें। प्रत्येक मांगलिक अवसर यथा जन्मदिन, विवाह, सन्तानप्राप्ति आदि पर एक वृक्ष अवश्य रोपें तथा उसकी देखभाल करें। एक-एक पग से मार्ग बनता है, एक-एक वृक्ष से वन, एक-एक बिन्दु से सागर, अतः आपका एक कदम हमारे संरक्षण के लिये अति महत्त्वपूर्ण है।

    ReplyDelete
  3. bahut hi dardpoorn.....magar satya..!!

    ReplyDelete

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...