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02 February, 2011

हवाओं के साए में एक नन्हा दीया?

मत याद दिलाइए कृपया!
मुझे मेरे दुखों की
सब करते हैं बातें दुख बांटने की
पर मुझे नहीं लगा
बंटा है दुख कभी
जब भी बात चलायी
याद दिलायी किसी ने दुख की
दुख ने और दुखी किया
आंखों को नम किया
कैसे बांट सकता है रोशनी भला!
हवाओं के साए में एक नन्हा दीया?

1 comment:

  1. कोई दुःख नहीं बांटता..अपना दुःख अपने कंधे पर ही ढोना होता है...सुन्दर प्रस्तुति

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