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18 October, 2010

दौड जरुरी है

मेरे पास नहीं है अवसर कि
इंतज़ार करुं अवसर का
फ़ितरत ही नहीं कि
किसी को औज़ार बनाऊं कि
बनूं किसी का औज़ार
जानता हूं, बहुत कठिन है
किसी से भी निभाना
कोई चाहता ही नहीं
किसी के कुछ काम आना
बहानों का ज़माना है
सबके पास है
कोई न कोई बहाना
अंगुली करने से फ़ुरसत मिले तो
किसी की अंगुली थामें
पता नहीं किन हाथों में हैं
हम सब की लगामें
आह!
कितनी कठिन है राह
पढ लिए सफ़लताओं के साधन
बदल गए
जीवनमूल्य सरोकार, संसाधन
आजमा लिए बाबाओं के सारे नुस्खे
भूखे आज भी है भूखे
क्यूं रुकें, किसके लिए रुकें
क्यों चूकें, किसके लिए चूकें
आओ जागें! हम भी भागें!
भागना मजबूरी हैं
काल से ताल के लिए
होड जरुरी है
दौड जरुरी है

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