जिसे
जो लिखना है
लिखे
जहां
जैसे छपना है
छपे
जहां
जैसे बिकना है
बिके
प्रार्थना इतनी भर
आदमियत रहे
आदमी दिखे
लिख सके तो-
अपने आपको
सच सच लिखे,
लिखने का आगाज़ हो जाएगा.
लिखा हुआ हर सच्चा शब्द,
उसके अचिर मौन का
चिर संवाद हो जाएगा.
जिसे जो लिखना है लिखे लेकिन मर्यादा मे रहकर्। सही लिखे हैं भाई जी।
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