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12 July, 2010

हम भी मर जाएंगे

क्यूं छोडें अपनी ज़मीं
क्यूं छोडें अपना आसमां
क्यूं तोडें खुद से यकीं
क्यूं छोडें अपना रास्ता
किया क्या हासिल और क्या कर लेंगे
क्या बदला है और क्या बदल देंगे
कितने तमगे लेंगे,कितने देंगे
किसकी जय बोलेंगे,किससे जय बुलवाएंगे
अपना ज़मीर मार, कितना जी लेंगे
सब मर जाते हैं, हम भी मर जाएंगे

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