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06 December, 2011

दो कविताएं : नवनीत पाण्डे

हो गया कवि

उस अलौकिक ने
रचा मुझे

मैंने-
देखते
समझते हुए
महसूसते हुए
बाहर को
भीतर अपने

दी गयी भाषा में
रचा फ़िर से तुम्हें
अपनी लेखनी से
बाहर
और
हो गया कवि
*****


कविता में.....

मैंने देखा था तुम्हें
पहले पहल
कविता में
फ़िर कविता में
फ़िर फ़िर कविता में
पर देखना बाकी है अभी
कविता है क्या?
कविता में.....
*****

3 comments:

  1. सुन्दर भावाव्यक्ति।

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  2. वाह, दोनो ही दमदार।

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  3. वाह बेहतरीन रचनाएं

    ReplyDelete

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