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14 April, 2011

गज़ल के बहाने-४

कितनी भली हैं ये खामोशियां
बातें करती है उदासियां

जब भूला दिया याद करनेवालों ने
क्यूं आती है हिचकियां

आंखें रोना चाहती है धाड़ धाड़
रोने ही नहीं देती सिसकियां

जब पैदा करनी होती है दूरियां
गिनाने लगते हैं मजबुरियां

कहां से आएगी रोशनी, ताजी हवा
जब खोलेंगे ही नहीं खिड़कियां

जब तक बंधी है पाल किनारे से
पार कैसे पहुंचेगी कश्तियां

2 comments:

  1. जब भूला दिया याद करनेवालों ने
    क्यूं आती है हिचकियां

    आंखें रोना चाहती है धाड़ धाड़
    रोने ही नहीं देती सिसकियां


    बहुत खूबसूरत गज़ल ..हर शेर सटीक बात करता हुआ ..

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  2. बहुत ही उम्दा लिखा है जनाब .....

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