सपने त्रस्त
हौसले पस्त
हम सब अभ्यस्त
मस्त हो रही
पंद्रह अगस्त
जीवन है सख्त
कितना कंबख्त
नीरस, विरक्त
मस्त हो रही
पंद्रह अगस्त
शासक सशक्त
अपने में व्यस्त
मतलबपरस्त
मस्त हो रही
पंद्र्ह अगस्त
कंगूरे ध्वस्त
सूरज है अस्त
कैसा ये वक्त
मस्त हो रही
पंद्रह अगस्त
No comments:
Post a Comment