कवि का मन
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09 May, 2010
मां!
बचपन की जरूरत
ममता की मूरत है मां
धरती पर साक्षात
ईश्वर की सूरत है मां
स्नेह का आंचल
नज़र का टीका है मां
ग्यान की पहली अंगुली
जीवन का सलीका है मां
मां मीत मां प्रीत है
मां गीत है, संगीत है
मां को प्रणाम नमन
मां से ही है जीव और जीवन
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