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04 May, 2010

बच्चा तो सिर्फ बच्चा था
मैंने ही उसे कहा- भिखारी कहीं का!
शर्म नहीं आती मांगते हुए
पर देता क्या हूं उसकी गरीबी को
सिवाय कुछ गालियों, उपदेशों के
हम भाषण देते हैं
बहुत ठाठ से दफ्तर में
कैंटीन वाले बच्चे के हाथ से
गर्म गर्म चाय, कैचोडी लेते हैं

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