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29 November, 2010

सच जानना आसान है पर....

देखो यार!
तुम उसे वह सब मत बताना
जो मैंने बताया है तुम्हें
वह भी पक्का यार है अपना
पर
उसके मन में कोई बात
खटती नहीं है
जानता हूं
उसके पेट कोई पाप नहीं है
पर हर बात
हर जगह
हर किसी के सामने कह देना भी
कोई बात नहीं है...
सच जानना आसान है
पर
सच पचाना
स्वीकारना
कहना, सुनना
कितना मुश्किल!
इसीलिए तो हम
कितने ही सच
जानबूझ कर छुपा जाते हैं
एक दूसरे के कानों में फ़ुसफ़ुसाते हैं
कहने की जगह गूंगे
देखने की जगह अंधे
सुनने की जगह बहरे हो जाते हैं

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