मुझे पता था
नहीं मिलेगा
मनचाहा
होगा अनचाहा
उस ओर होंगे सब के सब
इस ओर अकेला मैं
मुझे सुनना ही होगा सबको
पर
कभी नहीं दिया जाएगा हक
मुझे अपनी बात कहने का
पता था मुझे
ताज़िंदगी लड़ना होगा
लड़ते लड़ते मरना होगा
इस नपुंसक सन्नाटे में
खुद को ही सदा भरना होगा
Sach keh diya aapne bhale hi kadwa laga ho Sadhuwad hai aapko
ReplyDeleteसन्नाटे का नया नाम , अकेलेपन का अहसास
ReplyDeleteसुन्दर भाव, बहुत सुन्दर , बधाई
A bitter truth .
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