मौन ने धार लिया है
पूर्णत: मौन
बोलता ही नहीं कुछ
फ़ेंक रहा हूं कब से
शब्द और शब्द
पर होती ही नहीं कहीं
कोई हलचल
इस चुप्पी के तालाब में
सब कुछ नि:शब्द
निस्तब्ध
सिर्फ़ सन्नाटा
करता सबको
सन्नाटे में
भरती ही नहीं रिक्तता
क्या करे कविता....
नि:शब्द और निस्तब्ध ... अच्छी प्रस्तुति
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