कवि का मन
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10 March, 2011
मैं अकेला नहीं कहीं
न करे कोई याद
न सही
न करे कोई बात
न सही
न रहे कोई साथ
न सही
न हो सर पर कोई हाथ
न सही
नहीं छीन सकता कोई मुझ से
मेरी लेखनी
जब तक ये मेरे साथ हैं,
मैं अकेला नहीं कहीं
2 comments:
संगीता स्वरुप ( गीत )
10/3/11 11:21 PM
बिल्कुल सही ...सुन्दर भावाभिव्यक्ति
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रश्मि प्रभा...
11/3/11 10:38 AM
bahut badhiyaa
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बिल्कुल सही ...सुन्दर भावाभिव्यक्ति
ReplyDeletebahut badhiyaa
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