चिड़िया!!
बहुत ही छोटा पक्षी
किसी काम का है, नहीं सुना
चिड़िया को जब भी देखा
एक छोटी सी
फ़ुर्र फ़ुर्र उपस्थिति के साथ
चिड़ियाते हुए ही देखा
चिड़िया कभी नहीं सुहाती कमरे में
तुरंत उड़ा दी जाती
लेकिन
आ गयी कविता में
और भी बहुत से कवियों की
कविताओं में भी देखा है चिड़िया को
क्या है ऎसा चिड़िया में?
देखा है चिड़िया को
कोशिश की भी जानने की चिड़िया को
पर
सिर्फ़ चीं चीं के सिवा...
कुछ नहीं जान पाया
फ़िर भी
ललचाती है चिड़िया
बार बार आती है चिड़िया
उड़ा देने के बावजूद
कविता हो जाती है चिड़िया
कविता का चिड़िया से सम्बन्ध नई सोच, बधाई ....
ReplyDeleteबहुत अलग सी मन भावन कविता है आपकी...बधाई...
ReplyDeleteनीरज