तुम उसे देख रहे हो
जो दिखता ही नहीं
जो दिखता है
उसे तुम देखते ही नहीं
यह तुम्हारा नहीं
समय का स्खलन है
दृष्टियों में
गिध्द ही गिध्द समाए हैं
शब्द
जिह्वा पर ही
घबराए हुए हैं
छूटता ही नहीं
तरकश से तीर
मैदान ए जंग में
शिखण्डी ही शिखण्डी
आए हुए हैं
bahut khoob
ReplyDeleteवाह्…………बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
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