स्त्री सबसे बांटती है
अपने स्त्री होने का सुख
पर नहीं बांटती
किसी से भी
अपना एक भी दुख
स्त्री
सब कुछ सुनती है
पर
कहती कुछ भी नहीं
कभी किसी से
कितना बोलता है
स्त्री का मौन
पर कौन सुनता है
खुद
स्त्री भी नहीं सुनती
अपने मन की कोई बात
आखिर क्यूं है ऎसी?
ये स्त्री जात......
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