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किसी के देखे हुए सपनें
सपने में
सपने ने देखा
सपना मेरा
कोई नहीं मानेगा....
भला!
सपनें
कैसे देख सकते हैं सपनें
सपनें तो खुद होते हैं
किसी के देखे हुए सपनें
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तुम कल हो
तुम कल हो
मैं आज
तुम से मिलने की
प्रतीक्षा में
कल
कल हो जाऊंगा
रह जाऊंगा
यूंही प्रतीक्षारत
आज से कल
कल से
कल होते हुए
तुमसे कभी नहीं मिल पाऊंगा..
dono kavityaen lajawaab hain sir .badhai
ReplyDeleteदोनों रचनाएँ अद्भुत लगीं ..
ReplyDeleteसपनों का रहस्य सपने ही जाने।
ReplyDeleteकल और आज का मिलन नहीं होता. सच इनके बीच रह जाती है प्रतीक्षा. बहुत अच्छे भावों के लिए बधाई. कल और आज के मध्य झूले हैं आप. अंतस से निकली है.
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