दबते-दबते
उगना आया
उगते-उगते
पलना
पलते-पलते
फ़लना आया
फ़लते-फ़लते
खिरना
टिप टिप करते
बहना आया
बहते-बहते
झरना
झरते- झरते
झुरना आया
झुरते-झुरते
सहना..
पढते-पढते
लिखना आया
लिखते-लिखते
सीखना
सीखते-सीखते
कहना आया
कहते-कहते
न कहना..
खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteहर घटना का कारण है, कारण प्रवाहमान है।
ReplyDeleteजीवन में ज्ञान के आगमन और शील की व्याप्ति की प्रक्रिया का दुर्लभ अंकन... वाह... अद्भुत अभिव्यक्ति... बधाई नवनीत जी...
ReplyDeletebahut badhiya..
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