१
गाता हूं कविता
लिखते हुए
गाता हूं कविता
रचता हूं राग
साधते हुए
वादी, संवादी और
वर्जित सुर सारे
अपनी ताल में
तुम सुनते हुए
देखना !
मेरा यह शब्द राग
कहीं कुछ छूट तो नहीं गया?
सुनना-देखना होते हुए
२
कहां बचे हैं वे शब्द
शब्द
बीज होना चाहते हैं
उगाना चाहते हैं पेड़
कविताओं के
पर कहां बचे हैं
वे शब्द
जो बनें बीज
उगाए पेड़ कविताओं के
पर कहां बचे हैं
ReplyDeleteवे शब्द
जो बनें बीज
उगाए पेड़ कविताओं के
बहुत अच्छी प्रस्तुति ... दोनों रचनाएँ अच्छी लगीं
गाकर लिखना, कहकर लिखना अच्छा लगता है।
ReplyDeleteआपकी ३० जून की पोस्ट बेहद पसंद आई. कवि को या कहें कि रचनाकार को वरदान में सूरज की पहली किरण के साथ वेदना मिलती है.जिस दिन नहीं मिलती वह लिख नहीं पाता.
ReplyDeleteअगर लिखता है तो वह उसका झूठ होता है. हम सबने इस वरदान की भीक्षा मांगी है.कतरों को टपकने दो यही जिंदगी का सौंदर्य है. बहुत सुन्दर.