क्यूं रहते हैं बंद हमेशा
कुछ घरों के
दरवाजे और खिडकियां
कैसे कटती होंगी
अंधेरे, बंद मकानों में
सपनों से लकदक जिंदगियां
रोने कैसे देंगे वो खुलकर
औरों को
दबा लेते हैं जो अपनी ही सिसकिंया
मल्लाह ही लगेंगे
छेदने जिन्हें
लगेगी पार कैसे भला! वे किश्तियां
बहुत सही चिंतन ....
ReplyDelete... bahut sundar ... behatreen rachanaa !!!
ReplyDeleterone kaise denge wo khulkar,
ReplyDeleteauron ko,
daba lete hain jo apni hi siskiyaaan..
ufff kya baat kahi hai. bahut khoob.