खारापन
जल
जब तक है
कुआं, बावड़ी, ताल-तलैया,
नदी, झरना
होता है-
मीठा, मृदुल, शीतल, निर्मल,
प्यास बुझानेवाला
समंदर होने पर ही
उगता, व्यापता है
खारापन उसमें
*****
ओर-और
उस ओर कुछ नहीं है
सिवा उस ओर के
इस ओर भी कुछ नहीं
सिवा इस ओर के
एक और,
ओर है
जो दोनों ही ओर है
इस ओर भी,
उस ओर भी...
बहुत से ओर
हैं उस ओर
एक भी ओर नहीं
इस ओर
मैं किस ओर
अपने ओर को देखूं!
औरों को देखते-देखते
और ही हो गया हूं मैं
सच कहूं!
इन औरों के जंगल में
औरों के साथ
कुछ और ही हो गया हूं मैं!
*****
कवि है कि नहीं
वे कवि नाम देख कर
करते हैं तय
कविता पढी जाए कि नहीं
मैं!
कविता पढकर तय करता हूं
कवि-कविता है कि नहीं
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जो बड़ा हो जाता है वह प्यास नहीं बुझा पाता है।
ReplyDeleteतीनों रचनाएं अच्छी लगी १ व् ३ अधिक पसंद आयीं
ReplyDeleteतीनों रचनाएँ बहुत अच्छी लगीं। तर्बक की कसौटी कर कसी बहुत ही भावपूर्ण कविताएँ।
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