गीत
इस जीवन की दौड़ अज़ब है
पहुंचे कि न पहुंचे कहीं बस!
अपनी दौड़ें, दौड़े सब हैं
किसी से आगे किसी के पीछे
किसी के ऊपर किसी के नीचे
बाहर-भीतर भागम-भाग है
देखो जिधर एक दौड़-राग है
पल भर को विश्राम नहीं कहीं
काल से सांस की होड़ अज़ब है
इस जीवन की दौड़ अज़ब है
चलते-चलते ये पगडंडी
ना जाने किस पल खो जाए
जाना कहां, क्या है पाना
खोजनवारे खोज न पाए
मन के भीतर इन बीह्ड़ों के
सोच में आते मोड़ अज़ब हैं
इस जीवन की दौड़ अज़ब है
इतना जोड़ा, इतना घटाया
जांच, परख, हर सूत्र लगाया
सब से पूछा, सब ने बताया
फ़िर भी गणित ये, समझ न आया
कोई तो बूझे, क्या है उत्तर
जोड़-तोड़ में, लागे सब है
इस जीवन की, दौड़ अज़ब है
बमचक बमचक होड़ लगी है..
ReplyDelete