तुम्हें देखते हुए
मैंने देखा!
मैं अकेला नहीं था
तुम्हें देखनेवाला
देख रहा था रास्ता
चलते-चलते
देख रहा था वह पेड़
जिसने बुला लिया था
तल्ख धूप से बचाने के लिए तुम्हें
अपनी छांह तले
देख रहे थे परिंदे
जो उड़ते-उड़ते
बैठ गए उसी पेड़
तुम्हें देखने
पर तुम सबसे अनजान
अपने ही में खोयी
जागते में सोयी
पलकभर भी न देखा
देखते हुए रास्ते को
पेड़ को
परिंदों को
और मुझे भी
जो कभी भी
अकेला नहीं था
तुम्हें देखनेवाला
बड़ी सुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबेजोड़
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