हमारे हाथ
अलसुबह
नींद से जागने से
रात को सोने तक
कितनी चीज़ें
गुज़रती है हाथों से होकर
पता नहीं
क्या-क्या करते हैं हाथ
पता नहीं
कुछ भी नहीं रहता टिका
हाथों के हाथ
घिस जाती है
झूठी पड़ जाती है
हस्तरेखाएं भी
वक्त गए
फ़िर भी पाले रहते हैं हम
भ्रम
सब हैं हमारे साथ
सब कुछ है
हमारे हाथ
सच्चाई से कही गयी बात ....
ReplyDeleteसब हैं हमारे हाथ।
ReplyDeleteक्या बात है...एक भ्रम ही तो है...
ReplyDeleteसब हमारे हाथ है..सच में यही भ्रम सबसे बड़ा भ्रम है जिसे हम पाले रहते हैं
ReplyDeleteबहुत सार गर्भित रचना...बधाई
ReplyDeleteनीरज
भ्रम ....!!!
ReplyDeleteवाकी सच कहा आपने