जितना भी जाना प्रेम को
मुश्किल रहा पाना प्रेम को
कितना दुरुह ये प्रेमराग
सधे प्रेम तो जागे भाग
कोई कहे तन का आकर्षण प्रेम
कोई कहे मन का समर्पण प्रेम
देते हैं सब प्रेम का आख्यान
किसे है वास्तविक प्रेम का ज्ञान
सब ढूंढते है प्रेम यहां वहां
प्रेम छुपा है न जाने कहां
लोग खोजते हैं प्रेम, प्रेम से
और प्रेम भागा फ़िरता है, प्रेम से
ekdam sahi kaha aapne.....
ReplyDeletedete hain sab prem ka aakhyaan
kise hai vastavik prem ka gyaan !!
log khojate hain prem,prem se
aur prem bhaga firta hai,prem se !!
sabhi vastvikta se door hain isiliye prem door-door rahta hai...
sundar,ati sundar !!!