बोलती तो मैं पहले भी ऎसे ही थी
हंसी में भी कोई नयापन नहीं
फ़िर अब ऎसा क्या हो गया
तुम्हें मेरा बोलना सुहाता नहीं
कहते हो-
हंसना मुझे आता ही नहीं
मेरा साथ भाता नहीं
यह कौन सा और कैसा रंग है
तुम्हारे प्रेम का
क्या सचमुच ही
प्रेम के अंत की शुरुआत है
विवाह
yahi lagta hai...
ReplyDeletesaval mushkil hai uttar khojna padega ,
ReplyDeleteek kadwi sachhai jise pyaar or samajhdaari se dur kiya ja sakta hai
ReplyDeleteye sawal kai logon ko khud se hi karna chaahiye....khud ko naapen-tolen aur dil par haath rakh ke khud ko hi jawaab den..!!
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