कवि का मन
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10 October, 2010
शैन: शैन:
नया
पहना
मैला किया
धोया, सुखोया
फ़िर पहन लिया
फ़ट गया तो
फ़िर नया,
कितने रंग,
कितने ढंग
कितने दिन
किसके संग
फ़िर गया
फ़िर नया
वही प्रक्रिया
पुन: पुन:
यूंही
झरता जाता है
शैन: शैन:
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