१
चढते हुए
पहाड़ पर
रास्तों पर चलने के
अभ्यस्त पैर
डगमगाए कई बार
बहुत डराया
चेताया पहाड़ ने
पहली बार महसूसा
और जाना
पहाड़ों से बतियाते हुए
पहाड़ के भीतर
हाड़ ही नहीं
एक कोमल हृदय भी है
नेह भरा
२
धरती पर
धरती का ही
अंश है पहाड़
पहाड़ के हाड़ों में
भरी है
जाने कितनी उर्वरा
तभी तो पहाड़
दिखता है हरा
एक बार!
सिर्फ़ एक बार
पहाड़ के भीतर कोई
झांके तो जरा...
३
पहाड़ को
जिसने भी देखा है
होते हुए पहाड़
एक वही जानता है
पहाड़ का भीतर
पहाड़ अपने आप
कभी नहीं खोलता
अपना भीतर
४
पहाड़ खुदा तो
पहाड़ के भीतर
दिखे
कई पहाड़
अपरिचित था
पहाड़ खुद भी
अपने भीतर के पहाड़ों से
५
बचपन में घोटे थे
कितने पहाड़े
पर
आया ही नहीं स्मति में
कभी कोई पहाड़
पढते हुए पहाड़े
बेजोड़ कृति, पहाड़ बार बार चेताता है, पृथ्वी का अंश जो है।
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